Book Summary
भारतीय सभ्यता, संस्कृति, रीति-नीति, आचार-विचार तथा प्रथा-परम्परा का द्योतक ग्रन्थ होने के कारण ‘पञ्चतन्त्र’ को विशिष्ट महत्त्व प्रदान किया जाता है। यह ग्रन्थ समाज के सभी वर्गों के व्यक्तियों के लिए उपयोगी है। इस ग्रन्थ में लेखक ने छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से दैनिक जीवन से सम्बन्धित धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक तथ्यों की जैसी सुन्दर, सरस और रोचक व्याख्या प्रस्तुत की है, वैसी किसी अन्य ग्रन्थ में मिलनी कठिन है। सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री सैमुअल ने पञ्चतन्त्र को मानव-जीवन के सुख-दुःख, सम्पत्ति-विपत्ति, हर्ष-विषाद, कलह-मैत्री तथा उत्थान-पतन में सच्चा मार्गदर्शक एवं अभिन्न साथी माना है। आप कैसी भी स्थिति में क्यों न हों, इस पुस्तक के पन्ने पलटिये, आपको कुछ-न-कुछ ऐसा अवश्य मिल जायेगा, जो आपकी समस्या के समाधान में सहायक और आपको तनावमुक्त करने वाला सिद्ध होगा।
जीवन में नयी स्फूर्ति और नयी प्रेरणा देने वाला यह ग्रन्थ-रत्न संस्कृति का एक जाज्वल्यमान रत्न है।
लगभग दो हज़ार वर्षों से इस ग्रन्थ की लोकप्रियता न केवल अक्षुण्ण बनी हुई है, अपितु इसमें निरन्तर एवं उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है। विश्व की अनेक भाषाओं में इसकी व्यापक उपयोगिता तथा लोकप्रियता का प्रबल प्रमाण है।
संस्कृति के इस विश्वप्रसिद्ध गौरव-ग्रन्थ को हिन्दी के पाठकों तक पहुंचाने के लिए इसे सरल और सुबोध भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि इसके पठन-पाठन से पाठक लाभान्वित होंगे।